Thursday, February 11, 2010

पी आर ओ को अपनी औकात पता चल गयी

सतना के पी आर ओ आफिस में पिछले दिनों कुछ ऐसा हुआ ,जिसने सतना की पत्रकारिता को शर्मशार कर दिया.सूत्रों के अनुसार ६ माह पहले तबादले में सतना आये हुए सहायक संचालक जनसंपर्क के.के.सिंह . मारावी ,जब से आये हैं तभी से अपने कारनामों के कारण सुर्ख़ियों में बने हुए हैं.सूत्र बताते हैं की कुंठित मानसिकता का ये अधिकारी सतना आते ही ,अपने आस पास कुछ ऐसे दलाल नुमा पत्रकारों के चुंगल में फस गया है और उन्ही के कहे अनुसार वो सतना की पत्रकारिता में लोगो के स्तर का निर्धारण करता है. अपने इस छोटे से कार्यकाल में इस घमंडी और बदतमीज अधिकारी ने आज तक किसी भी स्थानीय प्रिंट हाउस जाने की जोह्बत नहीं उठाई और न हीं किसी भी वरिस्थ पत्रकार से किसी भी मुद्दे पर चर्चा ही की.चाहे वो नगरीय निकाय का चुनाव हो या हाल में ही संपन्न हुए पंचायती चुनाव ,आप सरकारी विज्ञप्तियों को उठा कर देखेंगे तो आप को इनके बौद्धिक और मानसिक स्तर का पता चल जायेगा.इतना ही नहीं ये अधिकारी समय-समय पर किसी से बदतमीजी करने से भी नहीं चूकता.इनके कार्यालय के सूत्रों की ही मानें तो वहां पर रमाशंकर शर्मा (नवभारत),ब्रजेश पाण्डेय (9 पी.एम् चैनल) ,हामिद खान ,शिवेंद्र बघेल,जैसे पत्रकार ही पूरे टाइम डेरा डाले रहते हैं,और ये लोग ही वहां बैठ कर सतना की पत्रकारिता में लोगों की पत्रकारिता का स्तर तय करते हैं.लेकिन जैसा हम बचपन से सुनते चले आये हैं की हर बुरी बात का बुरा अंत जरूर होता है,वैसा ही यहाँ भी हुआ.
कार्यालय के सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों,संजय लोहानी(ETV न्यूज़),ज्ञान शुक्ला(NDTV न्यूज़) एवं नीतेन्द्र गुरुदेव (सहारा समय)न जब अपने-अपने चैनलों से आया हुआ अधिमान्यता का फार्म लेकर मरावी के पास पहुचे ,तो उन्होंने इन्हें पत्रकार ही मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने ये कह कर फार्म मैं दस्तखत करने से मन कर दिया की आप लोगों को मैंने जनसंपर्क कार्यालय मैं आज तक नहीं देखा,और नहीं आज तक आप लोग मुझसे मिलने आये.जब इन तीनों पत्रकारों ने पूर्व मैं लोकसभा,विधानसभा और नगरीय निकाय चुनावों के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्ड दिखाया तो भी वो कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए और उल्टा बदतमीजी पर उतारू हो गए.जब पानी इन पत्रकारों के सर के ऊपर से आ गया तो इनका सब्र टूट गया और इन्होने मरावी को जिस भाषा को वो सुनना चाहता था उसी मैं उसकी औकात बता दी.

इस पूरी घटना के दौरान भी वहां पर 9 पी.एम् नामक चैनल का फर्जी पत्रकार बैठा रहा.और जब ये तीनों वहां से चले गए तो मरावी के पास बैठने वाली फर्जी पत्रकारों की चौकड़ी जिसका उल्लेख हम पहले कर चुके हैं,ने उसे इन पत्रकारों को फर्जी मामले मैं फसाने के लिए उकसाया और एक लिखित शिकायत,जनसंपर्क आयुक्त भोपाल सहित,थाना सिविल लाइन ,कलेक्टर सतना तथा पुलिस अधीक्षक सतना को दे दी गयी.एक तरफ जहाँ ये फर्जी पत्रकार घूम-घूम कर अपनी उपलब्धि का बखान कर रहे थे और इन पत्रकारों के ऊपर मुकदमा दर्ज होने का इन्तेजार कर रहे थे,तो वहीं २४ घंटे के अन्दर कुछ ऐसा हुआ की न केवल इस अधिकारी को इन पत्रकारों से अपने ही आफिस मैं अपने उप संचालक चौधरी समेत सतना के एक दर्जन पत्रकारों के सामने इनसे माफ़ी मंगनी पड़ी बल्कि लिखित मैं अपनी शिकायत भी वापस लेनी पड़ी.माफ़ी के इस सार्वजनिक घटनाक्रम इस दौरान भी कुछ दलाल पत्रकार वहां मौजूद थे,लेकिन अपना नंबर आने के पहले ही वे वहां से चलते बने.ये जीत केवल इन तीन पत्रकारों की जीत न होकर सतना की पत्रकारिता की जीत है.