Saturday, November 20, 2010

आखिर समय ने फिर पलटी मारी


मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट ने सतना महापौर मामले में आखिर अपना फैसला सुना ही दिया.फैसले के आते ही पिछले दो महीने से चल रही अटकलों का दौर समाप्त हो गया.पुष्कर सिंह को अपना खोया हुआ सम्मान वापस मिला और सतना की जनता को अपना चुना हुआ महापौर .खैर बुजुर्गों ने कहा है,जो भी होता है भले के लिए होता है,पुष्कर सिंह भी इस बात को अब मानाने लगे हैं.महापौर बनाने के बाद उनके घर में अचानक बढ़ी शुभचिंतकों की भीड़ में वो असली हितैषियों को ढूढने में बहुत परेशान हो रहे थे.समय की पलटी ने बहुत थोड़े से समय में दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर दिया.भाजपा के तथाकथित मठाधीशों के मुंह में इतना बड़ा जूता पड़ेगा इसका किसी को भी अंदाजा नहीं था.लोग तो महापौरी की टिकटों की गणित बैठने में लगे हुए थे,तभी हाईकोर्ट के अचानक आये फैसले ने इस बात का एहसास करा दिया की एक टपकती हुई बूँद आपकी किस्मत बदल सकती है.खैर अभी भी ये फैसला सत्ता के आकाओं के गले से उतर नहीं रहा है,और वो अभी भी गुलाटी मरने से बाज नहीं आ रहे हैं.खैर पुष्कर सिंह को उनके संघर्ष का फल मिला ,और उन्हें हमारी बधाई

Wednesday, September 15, 2010

आखिर निकल ही गया स्टार समाचार का जुलूस

सतना से जल्द ही प्रकाशित होने वाले वाले समाचार पत्र का एक जुलूस आज सतना की सड़कों से निकला.इस जुलूस को देख कर ये लग रहा था की मानो इस अखबार में रमेश सिंह ने अपनी पूरी प्रतिष्ठा झोंक दो हो.पूरे गाजे-बाजे के साथ निकला ये जुलूस,आज सहर में चर्चा का विषय बना रहा.सहर का संभ्रांत नागरिक यही कह रहा था की ,रमेश सिंह कहाँ पत्रकारिता के चक्कर में फँस गए,तो कुछ का कहना था की रमेश सिंह के पास पैसा तो है ही,अब उन्हें ग्लैमर का चस्का लग गया है.खैर घोडा दूर न मैदान ,सब जल्द ही सामने आ जायेगा.जिन सिपहसालारों के मत्थे ,रमेश सिंह ये जुंग लड़ने की सोच रहे हैं,उन्हें क्या मालूम की इनमे से आधे से ज्यादा तो सामने वाली सेना के हैं ,खड़े जरूर आपके साथ हैं,समय आने पर सबसे पहले ये ही आप पर वार करेंगे.

Thursday, September 2, 2010

वेतन दूसरे अखबार की,नौकरी स्टार की

सतना में जल्द ही खुलने जा रहा दैनिक समाचार पत्र स्टार समाचार ,चालू होने से पहले ही सुर्खियाँ बटोरने लगा है.अन्दर के सूत्रों के अनुसार सतना के सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाले समाचार पत्र ने ,इस समाचार पत्र को प्रभावित करने के लिए अलग-अलग पदों पर नियुक्त हुए कई लोगों को खरीद लिया है.वहां बैठे हुए ये दलाल रुपी लोग काम तो स्टार समाचार के लिए कर रहे हैं लेकिन उनकी वफादारी किसी अन्य अखबार के प्रति है.यहाँ पर प्रसार व्यवस्था देख रहा व्यक्ति ,तनख्वाह तो स्टार समाचार से लेगा,लेकिन दो अन्य अखबारों से भी उसने वेतन लेने का जुगाड़ फिट कर लिया है.ये घर के भेदी वेतन दुसरे अखबार से लेकर.स्टार समाचार को चालू होने के पहले ही पतन की दिशा में ले जायेंगे

Friday, July 9, 2010

दैनिक भास्कर का सिटी चीफ पुलिस हवालात में

पिछले दिनों सतना की पत्रकारिता में एक बहुत ही शर्मनाक घटना घटी.प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर के सतना कार्यालय में सिटी चीफ के पद पर पदस्थ एक पत्रकार एवं उनके एक अन्य पत्रकार साथी को पुलिस उठा ले गयी और सिविल लाइन थाने में बंद कर दिया.पुलिस सूत्रों के अनुसार ये महाशय अत्यधिक शराब के नशे में धुत्त थे और बीच रोड में हंगामा कर रहे थे. इस दौरान इन्होने पुलिस से काफी बदतमीजी की जिसके चलते पुलिस को इनकी लू उतारनी पड़ी.सूत्र बताते हैं की जब नवभारत के मनोज रजक और विष्णुकांत त्रिपाठी ने थाने जा कर पुलिस अधिकारीयों से बात की तब कहीं जा कर रात के लगभग दो बजे ये महाशय बाहर आ पाए.भास्कर के सूत्रों के अनुसार इन महाशय को अपनी इस हरकत के चलते दैनिक भास्कर से भी हटा दिया गया है और प्रेस में इनके प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है.

Tuesday, July 6, 2010

वाह रे सतना जिले का श्रमजीवी पत्रकार संघ

मुझे तो आजतक ये ही समझ नहीं आया की ये श्रमजीवी पत्रकार अपने द्वारा किये गए कौन से श्रम की बार-बार दुहाई देते रहते हैं .अगर चुनावों में अपने मासिक/त्रय-मासिक समाचार पत्रों को छाप कर अधिकारीयों और नेताओं से वसूली करना बहुत बड़ा श्रम है तो निश्चित ही ये श्रमजीवी हैं.ये बेचारे तो सम्मलेन के नाम पर इतना इकठ्ठा करने का प्रयास करते रहते हैं की साल भर अपने घर परिवार चला सकें.इनके पिछले दिनों सतना में हुए सम्मलेन पर ही नजर डालें तो इनकी सही औकात का पता चलता है ,वहां पर सतना से प्रकाशित होने वाले किसी भी हिंदी दैनिक अथवा किसी भी नामचीन इलेक्ट्रानिक चैनल का कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया.हाँ पत्रकारिता की आड़ में पूरे जिले में दलाली करने वालों का बहुत बड़ा जमावड़ा जरुर देखने को मिला.इस सम्मलेन का खैर एक फायदा भी था,अगर आप सतना जिले में घूम रहे फर्जी पत्रकारों को नहीं जानते तो एक बार इस कार्यक्रम में शामिल रहे सभी लोगों की लिस्ट ले लीजिये,आपको आगे परेशान होने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

सतना में फिर सक्रिय हुए दलाल पत्रकार

सतना जिले मैं पिछले दिनों संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान जम कर नक़ल हुई.एक तरफ जहाँ विभाग के लोग पैसे के दम पर लोगों को पास करने में लगे थे तो वहीँ दूसरी ओर अपने आप को समाज का चौथा स्तंभ बताते हुए ,कुछ दलाल नुमा पत्रकार वहां पहुच गए और अपने सामाजिक दायित्यों का हवाला देने लगे.अच्छा तो ये थे की वहां पर विभाग के कुछ ऐसे लोग भी थे जो इन रोड छाप पत्रकारों की औकात जानते थे,उन्होंने तत्काल इनके सामने कुत्ते की रोटी फेकी और ये दुम दबा कर वहां से चलते बने.इन पत्रकारों में से एक कोठी रोड स्थित दैनिक समाचार पत्र का शिक्षा क्षेत्र सम्हालने वाला शर्मा है तो दुसरे ई-टीवी से भगाए गए ठाकुर साहेब हैं.इसी जुगलबंदी ने पिछले दिनों आंगनबाड़ी केन्द्रों से भी गुणवत्ता की आड़ में जी तोड़ वसूली की है.इस तरह के स्तरहीन पत्रकारों की हरकतों की वजह से ही पत्रकारों को सरेआम मारे जाने की खबरें सुनने में मिलती हैं.

Thursday, February 11, 2010

पी आर ओ को अपनी औकात पता चल गयी

सतना के पी आर ओ आफिस में पिछले दिनों कुछ ऐसा हुआ ,जिसने सतना की पत्रकारिता को शर्मशार कर दिया.सूत्रों के अनुसार ६ माह पहले तबादले में सतना आये हुए सहायक संचालक जनसंपर्क के.के.सिंह . मारावी ,जब से आये हैं तभी से अपने कारनामों के कारण सुर्ख़ियों में बने हुए हैं.सूत्र बताते हैं की कुंठित मानसिकता का ये अधिकारी सतना आते ही ,अपने आस पास कुछ ऐसे दलाल नुमा पत्रकारों के चुंगल में फस गया है और उन्ही के कहे अनुसार वो सतना की पत्रकारिता में लोगो के स्तर का निर्धारण करता है. अपने इस छोटे से कार्यकाल में इस घमंडी और बदतमीज अधिकारी ने आज तक किसी भी स्थानीय प्रिंट हाउस जाने की जोह्बत नहीं उठाई और न हीं किसी भी वरिस्थ पत्रकार से किसी भी मुद्दे पर चर्चा ही की.चाहे वो नगरीय निकाय का चुनाव हो या हाल में ही संपन्न हुए पंचायती चुनाव ,आप सरकारी विज्ञप्तियों को उठा कर देखेंगे तो आप को इनके बौद्धिक और मानसिक स्तर का पता चल जायेगा.इतना ही नहीं ये अधिकारी समय-समय पर किसी से बदतमीजी करने से भी नहीं चूकता.इनके कार्यालय के सूत्रों की ही मानें तो वहां पर रमाशंकर शर्मा (नवभारत),ब्रजेश पाण्डेय (9 पी.एम् चैनल) ,हामिद खान ,शिवेंद्र बघेल,जैसे पत्रकार ही पूरे टाइम डेरा डाले रहते हैं,और ये लोग ही वहां बैठ कर सतना की पत्रकारिता में लोगों की पत्रकारिता का स्तर तय करते हैं.लेकिन जैसा हम बचपन से सुनते चले आये हैं की हर बुरी बात का बुरा अंत जरूर होता है,वैसा ही यहाँ भी हुआ.
कार्यालय के सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों,संजय लोहानी(ETV न्यूज़),ज्ञान शुक्ला(NDTV न्यूज़) एवं नीतेन्द्र गुरुदेव (सहारा समय)न जब अपने-अपने चैनलों से आया हुआ अधिमान्यता का फार्म लेकर मरावी के पास पहुचे ,तो उन्होंने इन्हें पत्रकार ही मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने ये कह कर फार्म मैं दस्तखत करने से मन कर दिया की आप लोगों को मैंने जनसंपर्क कार्यालय मैं आज तक नहीं देखा,और नहीं आज तक आप लोग मुझसे मिलने आये.जब इन तीनों पत्रकारों ने पूर्व मैं लोकसभा,विधानसभा और नगरीय निकाय चुनावों के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्ड दिखाया तो भी वो कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए और उल्टा बदतमीजी पर उतारू हो गए.जब पानी इन पत्रकारों के सर के ऊपर से आ गया तो इनका सब्र टूट गया और इन्होने मरावी को जिस भाषा को वो सुनना चाहता था उसी मैं उसकी औकात बता दी.

इस पूरी घटना के दौरान भी वहां पर 9 पी.एम् नामक चैनल का फर्जी पत्रकार बैठा रहा.और जब ये तीनों वहां से चले गए तो मरावी के पास बैठने वाली फर्जी पत्रकारों की चौकड़ी जिसका उल्लेख हम पहले कर चुके हैं,ने उसे इन पत्रकारों को फर्जी मामले मैं फसाने के लिए उकसाया और एक लिखित शिकायत,जनसंपर्क आयुक्त भोपाल सहित,थाना सिविल लाइन ,कलेक्टर सतना तथा पुलिस अधीक्षक सतना को दे दी गयी.एक तरफ जहाँ ये फर्जी पत्रकार घूम-घूम कर अपनी उपलब्धि का बखान कर रहे थे और इन पत्रकारों के ऊपर मुकदमा दर्ज होने का इन्तेजार कर रहे थे,तो वहीं २४ घंटे के अन्दर कुछ ऐसा हुआ की न केवल इस अधिकारी को इन पत्रकारों से अपने ही आफिस मैं अपने उप संचालक चौधरी समेत सतना के एक दर्जन पत्रकारों के सामने इनसे माफ़ी मंगनी पड़ी बल्कि लिखित मैं अपनी शिकायत भी वापस लेनी पड़ी.माफ़ी के इस सार्वजनिक घटनाक्रम इस दौरान भी कुछ दलाल पत्रकार वहां मौजूद थे,लेकिन अपना नंबर आने के पहले ही वे वहां से चलते बने.ये जीत केवल इन तीन पत्रकारों की जीत न होकर सतना की पत्रकारिता की जीत है.

Wednesday, November 18, 2009

नर्सिंग होम के हंगामे का सच

पिछले दिनों सतना के डालीबाबा मोहल्ले में स्थित एक नर्सिंग होम में जम कर हंगामा हुआ .हमें इस घटना के बारे में एक ई-मेल प्राप्त हुआ है जिससे पत्रकारिता को शर्मशार करने वाली बातें सामने आई हैं.मेल के अनुसार वहां हुई मारपीट का मामला महज पत्रकारों और डाक्टरों के बीच लड़ाई न होकर,कुछ पत्रकारों को न मिल सकी दलाली का परिणाम था.इस दलाली में भी, कोठी तिराहे स्थित एक दैनिक अख्बार के उसी अस्पताल बीट वाले दलाल पत्रकार का नाम आ रहा है,जिसने जिला अस्पताल में भी अपनी दलाली के लिए किसी को भी नहीं छोड़ा। ई-मेल के अनुसार ये पत्रकार वहां हो रही नसबंदी ,में अपनी दलाली मांगने गए थे,जब बात बिगड़ गई तो मीडिया के और लोगों को बुलवा कर मामला मीडिया और डॉक्टरों के बीच विवाद का बना दिया गया.सूत्रों की अगर मानें तो ये पत्रकार अपने चुनिन्दा साथियों के साथ हर नर्सिंग होम में यही करता रहता है. सूत्र बताते हैं की इस बार किस्मत ने इस दलाल और इसके साथियों का साथ नहीं दिया और इनको बुरी तरह वहां के स्टाफ द्वारा न केवल पीटा गया बल्कि सार्वजनिक रूप से इनको इनकी औकात भी बता दी गई.यही नहीं जब इन लोगों ने पत्रकार होने की धौंस गई और डाक्टर के ख़िलाफ़ थाने में झूठी रिपोर्ट की गयी तो डाक्टर ने भी इन लोगों के ख़िलाफ़ सिटी कोतवाली में मामला भी दर्ज करा दिया .सतना की पत्रकारिता के इतिहास में ये शायद पहला वाकया था,जब पत्रकार शब्द को इतनी बुरी तरह जलील होना पड़ा.ये बेहद शर्मनाक घटना है.हम इस मामले की और भी असलियत जानने का प्रयास कर रहे हें,अगर आप के पास इस मामले से जुड़ी कोई जानकारी हो तो हमे मेल karen

Saturday, October 3, 2009

आख़िर निपट ही गए PRO सिलावट

सतना में जिला जनसंपर्क अधिकारी के रूप में काम कर रहे सुनील सिलावट आख़िर यहाँ की गन्दी राजनीति का शिकार हो ही गए.जनसंपर्क कार्यालय के सूत्रों को अगर मानें तो सिलावट काफी लंबे समय से एक दलाल बाबु राजेश सिंह की हरकतों से बहुत परेशान थे.सूत्र बताते हैं की राजेश सिंह जनसंपर्क कार्यालय की आड़ में अपनी दलाली में लगा रहता है.सूत्र तो यहाँ तक कहते हें की राजेश सिंह जैसे लोग,दिन भर स्थानीय हिन्दी अखबार नवीशों को किसी न किसी प्रकार से प्रलोभित करने का प्रयास करते रहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े.राजेश सिंह अपने दलाल पत्रकार साथियों की मदद से पहले तो जनसंपर्क अधिकारी की कुर्सी पर बैठे हुए अधिकारी को ब्लैकमेल करवाता है,फिर ख़ुद ही दलाल के रूप मैं मध्यस्तता करके दोनों तरफ़ से दलाली खाता है.

Saturday, September 5, 2009

सामान्य प्रशासन की बैठक के नाम पर हुई ब्लैकमेलिंग

पिछले दिनों सतना जिला पंचायत के सामान्य प्रशासन की एक बैठक जिला पंचायत कार्यालय के बाहर स्थित पोर्च में जमीन पर संपन्न हुई.ये बैठक किसी फर्नीचर की कमी के चलते जमीन पर नहीं आयोजित की गई बल्कि इसका उद्देश्य जिला पंचायत अध्यक्ष समेत कई अन्य सदस्यों द्वारा अपना विरोध व्यक्त करना था.ये विरोध किसी जनहित के मुद्दे का न होकर उनकी स्वयं की अवैध फाइलों को वैध घोषित करवा कर पेमेंट निकलवाने का था.यहाँ ये बताना जरुरी है,की जिला पंचायत अध्यक्ष समेत लगभग सभी सदस्य किसी न किसी नाम से स्वयं सेवी संस्था चला रहे हैं,और इन्ही की आड़ में वो अपने काले-पीले कारनामे करते रहते हैं .सूत्रों की अगर मानें तो पिछले कुछ समय से जिला पंचायत के CEO आशीष कुमार बिना सोचे कोई पेमेंट नहीं कर रहे हें,उनको भी इन सदस्यों और अध्यक्ष द्वारा किए जा रहे घोटाले के मीडिया में पहुच जाने की ख़बर है.यही कारन है की आशीष कुमार फूँक-फूँक के कदम रख रहा है.जिला पंचायत अध्यक्ष ने तो चित्रकूट के दीनदयाल शोध संसथान के तर्ज पे अग्रसेन शोध संस्थान बना डाला है,और इसी के नाम पर लाखों के काम भी हो चुके हैं.खैर जमीन पर बैठ कर सभी ने सामूहिक दबाव बनाते हुए अंततः अपने फर्जी भुगतानों को स्वीकृत करा ही डाला.

Monday, August 24, 2009

सरकारी कर्मचारी बना दलाल

हरिराम नाई को मिली एक मेल के अनुसार इन दिनों राजेश सिंह नाम का सरकारी कर्मचारी जो पहले जिला पंचायत में था,अब जुगाड़ लगा कर जनसंपर्क विभाग में बाबु बन बैठा है .ये बाबु इन दिनों जिला पंचायत की ख़बरों को कुछ दलाल नुमा पत्रकारों को देकर अधिकारीयों से ब्लैकमेलिंग करवाता है,और ब्लैकमेलिंग में मिली रकम में अपना हिस्सा ले अपनी जेब गरम कर रहा है.कलेक्टर और CEO के पीछे हाथ धो कर पड़ा ,राजेश सिंह नाम का सरकारी बाबु ,पैसे लेकर सरकारी नोतेशीटों की भी फोटोकॉपी अपने दलाल साथियों को देने से गुरेज नहीं करता है.इसी राजेश सिंह ने PRO सिलावट के ख़िलाफ़ भी मामला पत्रकारों को सौंप कर उन पर दबाव बनने का प्रयास किया था,जिसमे वह सफल भी हुआ. पत्रकारों के नाम से फर्जी बिल निकाल कर हेरा फेरी में जुटे रहने वाला ये दलाल बाबु राजेश सिंह नवभारत के एक पत्रकार और एक प्रादेशिक चैनल के पत्रकार के साथ दिन भर अधिकारीयों को बैक्मैलिंग करने के तरीके बताता है.ये दलाल बाबु जिला पंचायत के दो कर्मचारियों की मिली भगत से सरकारी रेकॉर्डों में हेरा फेरी करने के काम में जुटा है.इन कर्मचारियों के नाम और उनके काले कारनामे पता करने में हरिराम नाई लगा हुआ है.

Saturday, July 18, 2009

छत्तू और पत्रकारिता के दलाल

पिछले दिनों सतना का एक दलाल नुमा नेता अपनी दलाली न सेट हो पाने की दशा में ,अपने कुछ पत्रकार साथियों की मदद से एक स्वयं सेवी संस्था के पीछे पड़ गया.मामला था जिला पंचायत की ट्रेनिंग का.जब हमने इस मामले की सत्यता जानने का प्रयास किया तो पहली बात जो सामने आई,वो है की ये पूरा मामला एक करोड़ अडसठ लाख का न होकर महज अठारह लाख का था.इस मामले को करोड़ों का घोटाला बना कर इस दलाल नुमा नेता ने संस्था पर दबाव बनने का प्रयास किया.पहले तो वो स्वयं संस्था मालिक से मिल कर ५ लाख की मांग ये कह कर करता रहा की विधान सभा चुनाव में बहुत खर्चा हो गया है,लेकिन जब उस संस्था के मालिक ने साफ़ इनकार कर दिया ,तो उसने उसे देख लेने की धमकी दी.हम ये नहीं कहना चाहते की अनुपमा एजुकेशन सोसाइटी ,एक नेक संस्था है,और वो भ्रस्टाचारों में लिप्त नहीं है,हम तो ये कह रहे हैं की जिस तरह से इस मामले को उठाया गया वो ग़लत था.इस मामले से स्वयं अनुपमा वालों का भी मीडिया मेनेजर होने का घमंड टूट गया.मामले की सत्यता यही है,की ग़लत समय पर ट्रेनिंग करायी जा रही थी.इसमे एक बात और सोचने लायक है,की अनुपमा सोसाइटी के अलावा ,वो लोग भी बराबर के जिम्मेदार हैं जिन्होंने इस ट्रेनिंग को इस समय कराने के लिए इस सोसाइटी को आदेश दिया.

Friday, July 17, 2009

एस.पी बंगले के विवाद का हुआ अंत

सतना मैं पुलिस अधीक्षक का बंगला पिछले एक साल से लगातार सुर्खियों मैं रहा.इसके पीछे बंगले में पूर्व एस.पी कमल सिंह राठौर और हाल में ही ट्रान्सफर पर यहाँ से गए विवादित एस.पी के.डी.पराशर के बीच का विवाद था.जो खुल कर सड़कों पर आ गया था.विभागीय सूत्रों की मानें तो विवाद इस कदर गहरा गया था की के .डी.पराशर ने कमल सिंह राठौर को कलेक्टर के मध्यम से कई नोटिसें बंगला खली करने के लिए दी थी,मगर कमल सिंह राठौर टस से मस नहीं हुए,यही नहीं के.डी.पराशर ने सतना आते ही मानवता को तार-तार करते हुए,कमल सिंह राठौर के बंगले में लगे सिपाही एवं अर्दली को हटाने के साथ-साथ बंगले का टेलीफोन कनेक्शन भी कटवा डाला.इतना ही नहीं सतना में अकेले पड़े कमल सिंह राठौर के परिवार का दुःख-सुख पूछने जाने वाले कर्मचारियों पर भी गाज गिरना शुरू कर दिया,जिससे नाराज कमल सिंह ने प्रतिज्ञा कर ली की जब तक के.डी.पराशर सतना में पदस्थ रहेंगे ,तब तक वे बंगला खली नहीं करेंगे,आख़िर उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और के.डी.पराशर के सतना से जाते ही रातों रात बंगला खाली कर यहाँ से चले गए.

सरपंच की मौत का दोषी कौन -पत्रकार या प्रशासन या विधायक

सतना जिले में पिछले दिनों हुई कुडिया ग्राम पंचायत के सरपंच हीरालाल सिंह की मौत का मामला गहराता जा रहा है.इस मामले की अगर तह पर जायें तो पता चलता है,कि इस सरपंच को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के पीछे उसको लगातार मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताडित करने वाले जिम्मेदार हैं .मृतक सरपंच के परिवार की माने तो हीरालाल को पिछले कुछ समय से आर्थिक गड़बडियों के आरोपों के कारण,उसे सतना के दो पत्रकार जिसमे एक प्रादेशिक चैनल और एक दैनिक अखबार का पत्रकार लगातार उससे पैसे की मांग कर मानसिक रूप से प्रताडित कर रहे थे,जिसके एवज में मृतक सरपंच ने मृत्यु के पूर्व उन्हें कुछ राशिः का भुगतान भी किया मगर इन दलाल नुमा पत्रकारों का लालच बढ़ता ही गया,फिर इन्होने एक विधायक और जिले के एक आला अफसर को इस सरपंच को प्रताडित करने में उपयोग किया.इन सभी लोगों ने मृतक सरपंच को जेल भेजने की धमकी देने के एवज मैं खूब पैसे ऐंठे .इतना सब होने के बाद भी इन पत्रकारों ने कुछ अपने रिश्तेदार और ग्रामीणों के सहयोग से कलेक्टर को ज्ञापन दे सत्तर वर्षीय सरपंच के खिलाफ थाने मैं मुकदमा दर्ज करा दिया. जिससे सरपंच इतना आहत हुआ की वह मानसिक रूप से टूट गया और इन सब की प्रताड़ना से तंग आ कर एक दिन अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया.

Saturday, June 27, 2009

भीषण सूखे के बावजूद गेंहू की रिकॉर्ड पैदावार

मध्य प्रदेश का सतना जिला पिछले ४ सालों से लगातार सूखाग्रस्त है.इस साल भी मध्य प्रदेश शासन द्वारा घोषित सुखाग्रस्त तहसीलों में सतना जिले की सभी तहसीलें शामिल थीं.एक तरफ़ सतना जिले की जनता पानी की एक -एक बूँद को तरस रही है,तो दूसरी तरफ़ भारतीय खाद्य निगम और नागरिक आपुर्ति निगम के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं.शासन द्वारा किसानों से गेंहू खरीदी के ये दोनों विभाग ही मुख्य जरिए हैं.अगर इन दोनों विभाग के खरीदी के आंकडों पर नज़र डालें तो पता चलता है की जिले में 1 लाख 80 हज़ार क्विंटल गेंहू की खरीदी के लक्ष्य के विरुद्ध 4 लाख 52 हज़ार 199 क्विंटल गेंहू समर्थन मूल्य पर ख़रीदा गया.यही नहीं फसल कटाई एवं कृषि विभाग के आंकडों पर नज़र डालें तो वर्ष 2008-2009 में जिले में अनुमानित गेंहू बोनी का क्षेत्र १ लाख २५ हज़ार ६४० हेक्टेयर था जिसके विरुद्ध सुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 1 लाख 27 हज़ार 773 हेक्टेयर गेंहू की बोनी का रहा है.समझ में ये नहीं आ रहा है की या तो सरकारी आंकडों में सतना को सुखाग्रस्त घोषित करना ग़लत है या फिर ये पैदावार के आंकड़े ग़लत हैं.

Tuesday, May 19, 2009

आइये एक नए दिन की शुरुआत करें

पिछले कुछ समय मैं सतना के लोगों ने वो दौर देखा जो सभी के लिए बहुत ही कष्टदायक था.ये दौर था आपसी संबंधों और मित्रता से बढ़ कर जतिवादिता का दौर .इतनी कट्टर जतिवादिता का दौर चला कि वर्षों से एक दूसरे के साथ रहने वाले आपस में ही बात करने से हिचकने लगे.इस दौर ने हमारे बीच के आपसी भाईचारे और प्रेम के बीच में सेंध लगाने की कोशिस की. अगर ये दौर आगे भी चलता रहा तो निश्चित ही ,इस छोटी और स्तरहीन मानसिकता के चलते हमें आगे भी बहुत कुछ झेलना पड़ेगा.अगर हमें अपने आने वाले भविष्य को संवारना है,तो हमें इस मानसिकता से आगे निकल कर,एक दूसरे का साथ देकर अपने आपको और सतना को बहुत आगे ले जाना होगा.दुनिया बहुत बड़ी है,और हमारे पास समय बहुत कम.आइये हम सब संकल्प लें कि इस जातिवादी वैमनस्यता का अंत करेंगे और आपसी,प्रेम ,सदभावना और भाईचारे भरे सबेरे का स्वागत करेंगे.

Monday, May 18, 2009

गणेश सिंह ने अंततः लोकसभा सीट जीत ही ली

सतना का लोकसभा चुनाव शुरू से ही पार्टीगत न होकर जातिगत आधार पर चल रहा था.इसी कारण से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए राजाराम त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बना कर,ब्राहमणों के वोटों पर कब्जा करने की सोची.गणेश सिंह अपने ही बनाये गए जातिगत समीकरणों मैं उलझ कर रह ही गए थे,तभी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी छवि की दुहाई देते हुए,पार्टी के लिए वोटों की मांग की.ये शिवराज फैक्टर ही था जिसके चलते,गणेश सिंह को सबसे ज्यादा बढ़त सतना विधानसभा से मिली खासकर सतना शहर से,जो अपने आप में आश्चर्यजनक है.इतने कम वोटों से हार-जीत का फैसला होगा किसी ने सोचा भी नहीं होगा.

Wednesday, May 6, 2009

चुनावों पर क्रिकेट और शादी भारी

सतना मैं संपन्न हुए लोकसभा चुनावों और उनके नतीजों के बीच में इतना लंबा अन्तर हो गया है कि बाज़ार में चुनावी नतीजों की चर्चाएँ होना भी बंद हो गई हैं.सोने पे सुहागा तो शादी कि लग्नों और आई पी एल के क्रिकेट मैचों ने कर दिया,आज कि इस व्यस्तता भरी जिंदगी में चुनावी नतीजों का लोगों पर कितना असर होता है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोग अब कौन जीतेगा के जवाब में दिल्ली डेयर डेविल्स और राजस्थान रोयल्स का नाम लेने लगे हैं.चुनाव की चर्चा सिर्फ़ प्रत्याशियों या उनके इर्द गिर्द रहने वालों के बीच तक ही सिमट कर रह गई है। चुनाव आयोग द्वारा जिस तरह दिन प्रति दिन जिस सख्ती के साथ चुनाव संपन्न कराये जा रहे हैं,वो दिन दूर नहीं है जब लोग घर बैठ कर ही पूरी चुनावी प्रक्रिया करेंगे और वहीँ से प्रचार और समर्थन करेंगे.

Wednesday, April 22, 2009

आज के दौर की मजबूर पत्रकारिता

आज के युग मैं पत्रकारिता महज बड़े पूँजीपतियों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गई है.बड़े से बड़े अनुभवी और विद्वान् पत्रकार भी आज निष्पक्ष हो कर पत्रकारिता नहीं कर सकते.आज एक पत्रकार वर्तमान राजनैतिक और सामाजिक परिदश्य के बारे मैं क्या सोचता है ये महत्वपूर्ण नहीं है,महत्वपूर्ण ये है की किस व्यक्ति ने आप के अखबार या चैनल मैं पैसे की डील करके अपने पक्ष मैं समाचार चलवाने के लिए स्थान आरक्षित करा रखा है.अगर पत्रकार किसी व्यक्ति या मुद्दे पर निष्पक्ष हो कर अपनी राय अपने समाचार पत्र या इलेक्ट्रानिक चैनल मैं प्रकाशित करता है तो सर्वप्रथम तो वो स्थानीय स्तर पर निजी विरोध का सामना करता है,फिर उसके मालिक सम्बंधित पक्ष से आर्थिक लेन-देन तय करने के बाद उसी पत्रकार को सम्बंधित व्यक्ति का गुंणगान और महिमामंडित करने के लिए मजबूर करते हैं.ऐसे मैं महज चंद रुपयों की तनख्वाह से अपनी रोजी रोटी चलने वाला पत्रकार अंत मैं पता तो कुछ नहीं हैं,बल्कि एवज मैं उसे व्यक्तिगत दुश्मनी और जिल्लत का सामना करना पड़ता है.यही है आज की पत्रकारिता का सच.

Saturday, March 28, 2009

लौट के बुद्धू घर को आए

सतना जिले के पूर्व सांसद और राष्ट्रीय समानता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखलाल कुशवाहा ने अपनी बिक्री का सही मूल्य न पाने की दशा में,अंततः लौट कर ख़ुद को एक पहचान देने वाली पार्टी BSP में वापस शामिल होना ही उचित समझा। पिछले काफी समय से ये अटकलें लगायी जा रही थी,कि बिकने को तैयार सुखलाल को इस बार कौन खरीदेगा.चुनावी बाज़ार में कभी उन्हें कांग्रेस के अर्जुन सिंह से सौदा करते तो कभी कुशवाहा वोटों के सही मूल्य का निर्धारण करते पाया जाता रहा है.पिछले विधानसभा चुनावों में सुखलाल कुशवाहा ने BJP के सांसद गणेश सिंह से अमरपाटन में कुशवाहा वोटों के एवज में नागौद में पटेल वोटों का सौदा किया था.अमरपाटन में कुशवाहा वोट तो BJP के रामखेलावन पटेल को मिल गए लेकिन नागौद में पटेल वोट सुखलाल को न मिल सके,जिससे उसे वहां एक बुरी हार का सामना करना पड़ा.इस हार से तिलमिलाए सुखलाल ने इस लोकसभा चुनाव में किसी भी शर्त पर गणेश सिंह को हराने कि ठान ली है.पहले तो वो अपने कोशिश करते रहे कि उन्हें कुशवाहा समाज के वोटों कि सही कीमत मिल जाए,लेकिन जब कहीं बात न जमी तो अपनी इज्जत बचाने के उद्देश्य से वो बहुजन समाज पार्टी कि शरण में आ गए .