Tuesday, July 6, 2010

वाह रे सतना जिले का श्रमजीवी पत्रकार संघ

मुझे तो आजतक ये ही समझ नहीं आया की ये श्रमजीवी पत्रकार अपने द्वारा किये गए कौन से श्रम की बार-बार दुहाई देते रहते हैं .अगर चुनावों में अपने मासिक/त्रय-मासिक समाचार पत्रों को छाप कर अधिकारीयों और नेताओं से वसूली करना बहुत बड़ा श्रम है तो निश्चित ही ये श्रमजीवी हैं.ये बेचारे तो सम्मलेन के नाम पर इतना इकठ्ठा करने का प्रयास करते रहते हैं की साल भर अपने घर परिवार चला सकें.इनके पिछले दिनों सतना में हुए सम्मलेन पर ही नजर डालें तो इनकी सही औकात का पता चलता है ,वहां पर सतना से प्रकाशित होने वाले किसी भी हिंदी दैनिक अथवा किसी भी नामचीन इलेक्ट्रानिक चैनल का कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया.हाँ पत्रकारिता की आड़ में पूरे जिले में दलाली करने वालों का बहुत बड़ा जमावड़ा जरुर देखने को मिला.इस सम्मलेन का खैर एक फायदा भी था,अगर आप सतना जिले में घूम रहे फर्जी पत्रकारों को नहीं जानते तो एक बार इस कार्यक्रम में शामिल रहे सभी लोगों की लिस्ट ले लीजिये,आपको आगे परेशान होने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

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