
मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट ने सतना महापौर मामले में आखिर अपना फैसला सुना ही दिया.फैसले के आते ही पिछले दो महीने से चल रही अटकलों का दौर समाप्त हो गया.पुष्कर सिंह को अपना खोया हुआ सम्मान वापस मिला और सतना की जनता को अपना चुना हुआ महापौर .खैर बुजुर्गों ने कहा है,जो भी होता है भले के लिए होता है,पुष्कर सिंह भी इस बात को अब मानाने लगे हैं.महापौर बनाने के बाद उनके घर में अचानक बढ़ी शुभचिंतकों की भीड़ में वो असली हितैषियों को ढूढने में बहुत परेशान हो रहे थे.समय की पलटी ने बहुत थोड़े से समय में दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर दिया.भाजपा के तथाकथित मठाधीशों के मुंह में इतना बड़ा जूता पड़ेगा इसका किसी को भी अंदाजा नहीं था.लोग तो महापौरी की टिकटों की गणित बैठने में लगे हुए थे,तभी हाईकोर्ट के अचानक आये फैसले ने इस बात का एहसास करा दिया की एक टपकती हुई बूँद आपकी किस्मत बदल सकती है.खैर अभी भी ये फैसला सत्ता के आकाओं के गले से उतर नहीं रहा है,और वो अभी भी गुलाटी मरने से बाज नहीं आ रहे हैं.खैर पुष्कर सिंह को उनके संघर्ष का फल मिला ,और उन्हें हमारी बधाई
भाई समाचार के तौर पर तो बात करारी है लेकिन पता नहीं क्यों इसमें आपकी लेखनी की धार महसूस नहीं हो रही है। संभव है कि किसी बात का तात्कालिक प्रभाव हो मनोभाव ऊपर-नीचे होते रहते हैं जो कि लेखन को प्रभावित करते हैं। लाल साहब पुष्कर जी को हमारी तरफ़ से भी बधाई भेजिये। यदि कभी सतना की तरफ आना हुआ तो मिलना चाहूंगा। मेरा मोबाइल नं. आपको दे रहा हूं ताकि यदि कभी आपका मुंबई आना हो तो बेझिझक-बेहिचक सम्पर्क करके आ जाइये मिल कर खूब भड़ास निकालेंगे :)
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